मध्यप्रदेश शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के लाडो अभियान के तहत सागर जिले के कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा को समाप्त करने और जन जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से उड़नदस्ते का गठन किया है। यह कदम अक्षय तृतीया और अन्य आगामी अवसरों पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए उठाया गया है। उड़नदस्ता दल की टीम जिलों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए सक्रिय रूप से काम करेगी और संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर कड़ी निगरानी रखेगी।
उड़नदस्ता दल में विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल किए गए हैं। इसमें समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, जनपद सीईओ, परियोजना अधिकारी, विकासखंड चिकित्सा अधिकारी, थाना प्रभारी, स्थानीय पटवारी, सचिव, रोजगार सहायक, ग्राम कोटवार और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल हैं। यह टीम बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला और परियोजना स्तर पर कार्रवाई करेगी और समाज के विभिन्न सेवाप्रदाताओं, कार सेवकों, जनप्रतिनिधियों और अशासकीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करने के लिए कार्यशाला आयोजित करेगी।
बाल विवाह की रोकथाम के उपाय
उड़नदस्ता दल बाल विवाह रोकने के लिए विभिन्न उपायों को लागू करेगा। इसके तहत, विवाह मुहूर्त के समय ग्रामों में बाल विवाह न करने का परामर्श दिया जाएगा। इस परामर्श के माध्यम से स्थानीय लोगों को बाल विवाह के खतरों और कानूनी परिणामों के बारे में बताया जाएगा। इसके लिए परियोजना स्तर पर एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा, जिससे लोग बाल विवाह की सूचना तुरंत दे सकें। इस कंट्रोल रूम में दूरभाष नंबरों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा, ताकि लोग बाल विवाह के मामलों की जानकारी आसानी से दे सकें। इसके अलावा, पुलिस थाना, चाइल्डलाइन, कलेक्टर और अन्य संबंधित कार्यालयों के दूरभाष नंबर भी उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि जब भी किसी को बाल विवाह का संदेह हो, तो वे तुरंत अधिकारियों से संपर्क कर सकें।
बालक/बालिका की उम्र की निगरानी
बाल विवाह रोकने के लिए उड़नदस्ता दल विशेष निगरानी रखेगा और 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं और 21 वर्ष से कम उम्र के बालकों की जानकारी एकत्र करेगा। इस सूची के आधार पर इन बच्चों के विवाह की निगरानी की जाएगी। अनुविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में और परियोजना अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी तथा पुलिस निरीक्षक की टीम द्वारा इन बच्चों की निगरानी की जाएगी। यह टीम यह सुनिश्चित करेगी कि इन बच्चों का विवाह नहीं हो रहा है और वे कानूनी उम्र के अनुसार विवाह करें। इस निगरानी के माध्यम से बाल विवाह को रोकने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी लड़की या लड़के का विवाह उनके अधिकारों का उल्लंघन करके न हो।
सामूहिक विवाह में उम्र का परीक्षण
सामूहिक विवाहों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए अधिकारियों द्वारा कड़ी निगरानी रखी जाएगी। विवाह स्थल पर वर और वधु के उम्र संबंधी दस्तावेजों का परीक्षण किया जाएगा। अधिकारियों द्वारा विवाह के दस्तावेजों की जांच की जाएगी, जिसमें जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल की अंकसूची और आंगनबाड़ी केंद्र के रिकॉर्ड शामिल होंगे। अगर इन दस्तावेजों की अनुपस्थिति होती है, तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल प्रमाण पत्र को मान्य किया जाएगा। इस उपाय से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विवाह में शामिल होने वाले व्यक्ति कानूनी रूप से विवाह योग्य हैं।
इसके अलावा, सामूहिक विवाह आयोजकों से शपथ पत्र लिया जाएगा कि वे अपने आयोजनों में बाल विवाह संपन्न नहीं करेंगे। इस शपथ पत्र में आयोजक यह वादा करेंगे कि वे किसी भी बालक या बालिका का विवाह नहीं कराएंगे और उनका विवाह केवल विधिक आयु पूरी करने के बाद ही होगा।
प्रिंटिंग प्रेस और विवाह सेवाप्रदाताओं से आग्रह
कलेक्टर द्वारा प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, केटरर्स, धर्मगुरू, बैंडवाला, ट्रांसपोर्ट और समाज के मुखियों से यह अनुरोध किया जाएगा कि वे केवल उम्र संबंधी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही विवाह संबंधी सेवाएं प्रदान करें। इस प्रक्रिया में प्रमाण पत्र की जांच के बाद ही सेवाएं दी जाएंगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि विवाह में भाग लेने वाले लोग कानूनी उम्र के हैं। इसके अलावा, विवाह पत्रिकाओं में भी यह स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा कि वर और वधु की उम्र विधि अनुरूप है। जिले के सभी प्रिंटिंग प्रेस को इस संबंध में निर्देशित किया जाएगा।
समन्वित प्रयास से बाल विवाह की रोकथाम
कलेक्टर द्वारा गठित उड़नदस्ता दल के प्रयासों के तहत अनुविभागीय अधिकारी, परियोजना अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी, शिक्षा अधिकारी और पुलिस निरीक्षक की टीम सामूहिक विवाह आयोजनों में भ्रमण कर वर-वधु के उम्र संबंधी दस्तावेजों का परीक्षण करेगी। इसके साथ ही, उड़नदस्तों और अन्य संबंधित विभागीय कर्मचारियों द्वारा बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित की जाएगी।
कलेक्टर के इस महत्वपूर्ण कदम से यह उम्मीद की जा रही है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा को प्रभावी रूप से रोका जा सकेगा और समाज में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलेगी। इस प्रयास के माध्यम से समाज में बदलाव लाने और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।