भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने लोकतांत्रिक प्रणाली को और अधिक मजबूत, पारदर्शी तथा जनोन्मुखी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए चुनाव प्रक्रिया से संबंधित 18 नई पहलों की घोषणा की है। इन पहलों का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं की सुविधा, चुनावी पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और समावेशी सहभागिता को बढ़ावा देना है।
मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाता
इन पहलों में सबसे प्रमुख बदलाव यह है कि अब प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1200 मतदाताओं को ही पंजीकृत किया जाएगा। पहले की तुलना में यह संख्या घटा दी गई है ताकि मतदान केंद्रों पर भीड़भाड़ कम हो और मतदान प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित, सरल और सुगम बन सके।
ऊंची इमारतों/कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र
इससे विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों और महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त, शहरी क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतों और घनी कॉलोनियों में अब अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे लोगों को अपने घर के नजदीक ही मतदान की सुविधा मिल सकेगी।
मृत्यु पंजीकरण डेटा से मतदाता सूची अद्यतन
मतदाता सूची को अद्यतन और अधिक प्रामाणिक बनाने के लिए आयोग ने अब मृत्यु पंजीकरण से संबंधित डेटा सीधे भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) के डेटाबेस से प्राप्त करने का निर्णय लिया है। इसके पश्चात स्थानीय स्तर पर निर्वाचन अधिकारियों द्वारा सत्यापन कर मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे। यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अधिक विश्वसनीय और साफ-सुथरा बनाने में मददगार होगी।
मतदाता सूचना पर्ची को अधिक उपयोगी बनाया जाएगा
मतदाता सूचना पर्चियों को भी अब पहले से अधिक उपयोगी और स्पष्ट बनाया जाएगा। अब मतदाता की क्रम संख्या (serial number) और भाग संख्या (part number) को पर्ची में प्रमुखता से दर्शाया जाएगा, जिससे मतदाताओं को मतदाता सूची में अपना नाम ढूंढने और मतदान केंद्र में प्रक्रिया को पूरा करने में आसानी होगी।
अखिल भारतीय सर्वदलीय बैठकें
इन सुधारों के साथ-साथ आयोग ने पूरे देश में चुनाव से जुड़े राजनीतिक दलों के साथ व्यापक संवाद शुरू किया है। निर्वाचन प्रक्रिया में सभी दलों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए देशभर में 4719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें से 40 मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) के स्तर पर, 800 जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) के स्तर पर, और 3879 निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (ERO) के स्तर पर आयोजित की गईं। इन बैठकों में 28,000 से अधिक राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिससे यह प्रक्रिया अधिक समावेशी बनी।
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों से सीधा संवाद
चुनाव आयोग ने प्रमुख राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों जैसे भाजपा, कांग्रेस, आप, बसपा, माकपा, और एनपीपी के शीर्ष नेताओं से भी संवाद किया। इन बैठकों के माध्यम से आयोग ने चुनाव सुधारों पर सुझाव लिए और राजनीतिक दलों की भागीदारी को और मजबूत किया।
बूथ एजेंटों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
चुनाव प्रक्रिया को और भी पारदर्शी तथा पेशेवर बनाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार, तमिलनाडु और पुडुचेरी जैसे राज्यों में राजनीतिक दलों के बूथ स्तर के एजेंटों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। यह प्रशिक्षण IIIDEM (India International Institute of Democracy and Election Management) द्वारा आयोजित किए गए, जो कि चुनाव प्रबंधन में विशेषज्ञता रखने वाला राष्ट्रीय संस्थान है।
ECINET एकीकृत डिजिटल डैशबोर्ड
ECI ने नाम से एक एकीकृत डिजिटल डैशबोर्ड की शुरुआत भी की है। यह डैशबोर्ड मतदाताओं, चुनाव अधिकारियों, राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों को एक ही प्लेटफार्म पर आवश्यक सेवाएं प्रदान करेगा। इससे चुनाव प्रक्रिया अधिक संगठित और सुलभ बनेगी।
डुप्लिकेट EPIC का समाधान
भारत निर्वाचन आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है कि एक ही व्यक्ति को एक से ज़्यादा वोटर कार्ड (EPIC - Electors Photo Identity Card) जारी न किए जाएं। अब हर मतदाता को एक अद्वितीय (Unique) EPIC नंबर मिलेगा, जो पूरे देश में सिर्फ उसी व्यक्ति से जुड़ा होगा। इससे डुप्लिकेट वोटर कार्ड की समस्या खत्म होगी और मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी।
28 हितधारकों की पहचान और प्रशिक्षण सामग्री का निर्माण
चुनाव प्रक्रिया में कई अलग-अलग लोग और संस्थाएं शामिल होती हैं, जैसे – मतदाता, चुनाव अधिकारी, राजनीतिक दल, उम्मीदवार, पर्यवेक्षक, सरकारी विभाग, और सुरक्षा एजेंसियाँ आदि। भारत निर्वाचन आयोग ने ऐसे कुल 28 प्रमुख हितधारकों (stakeholders) की पहचान की है, जो मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने की प्रक्रिया में किसी न किसी रूप में जुड़े होते हैं। अब आयोग इन सभी के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण सामग्री तैयार कर रहा है, ताकि हर व्यक्ति या संस्था को यह अच्छे से समझ में आए कि उन्हें किस कानून, नियम और आयोग के दिशा-निर्देशों का पालन करना है। इससे चुनाव प्रक्रिया और अधिक सटीक, पारदर्शी और कुशल बन सकेगी।
बीएलओ से मानक फोटो पहचान पत्र की प्राप्ति
मतदाता की पहचान को और भी सही और भरोसेमंद बनाने के लिए अब बीएलओ (Booth Level Officer) के माध्यम से मतदाताओं के मानक फोटो पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि) एकत्र किए जाएंगे। इसका उद्देश्य यह है कि मतदाता सूची में दर्ज नाम और फोटो पूरी तरह से सही हों और कोई फर्जी या गलत जानकारी शामिल न हो। इससे डुप्लिकेट या फर्जी मतदाता की पहचान आसान होगी।
आईआईआईडीईएम में व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम
नई दिल्ली स्थित IIIDEM (India International Institute of Democracy and Election Management) में 3000 से अधिक बूथ स्तरीय पर्यवेक्षकों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अगले कुछ वर्षों में 1 लाख से अधिक पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है।
राज्यों के अधिकारियों का अभिविन्यास
IIIDEM में सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सीईओ कार्यालयों के एसएमएनओ और एमएनओ के लिए विशेष अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे वे नवीनतम सुधारों को बेहतर ढंग से लागू कर सकें।
पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण
बिहार राज्य के पुलिस अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया गया है, जिससे चुनावी शांति व्यवस्था और निष्पक्षता को सुनिश्चित किया जा सके।
बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू
चुनाव कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए अब बायोमेट्रिक मशीन से अधिकारियों की हाज़िरी ली जाएगी, जिससे यह साफ पता चलेगा कि कौन-कौन मौजूद था और किसने कितना काम किया।
ई-ऑफिस का क्रियान्वयन
चुनाव कार्यालयों में अब ई-ऑफिस सिस्टम शुरू किया गया है, जिससे सारे काम कंप्यूटर पर ऑनलाइन किए जा रहे हैं। इससे फाइलें संभालना आसान हो गया है, कागजों की जरूरत कम हो गई है, और काम जल्दी व साफ-साफ हो रहा है। इससे समय की बचत भी हो रही है और गड़बड़ी की संभावना भी घट गई है।
सीईओ के साथ नियमित बैठकें
चुनाव की तैयारी और उसमें हो रहे सुधारों पर लगातार नजर रखने के लिए चुनाव आयोग राज्य के मुख्य अधिकारियों (CEO) के साथ समय-समय पर बैठकें करता है। इन बैठकों में चुनाव से जुड़ी ज़रूरी बातों पर चर्चा होती है और आगे की योजनाएं तय की जाती हैं, जिससे चुनाव अच्छे और सही तरीके से हो सकें।
मतदाता शिक्षा और भागीदारी
चुनाव आयोग मतदाताओं को मतदान के बारे में जागरूक करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहा है – जैसे पोस्टर, वीडियो, मोबाइल ऐप और कॉलेजों में कार्यक्रम। इसका मकसद यह है कि लोग समझें कि वोट देना क्यों जरूरी है और वे पूरे विश्वास के साथ मतदान में हिस्सा लें।
लोकतंत्र को और मजबूत बनाने की दिशा में कदम
ये सभी 18 पहलें इस दिशा में निर्णायक कदम हैं कि भारत की चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, समावेशी और जन-उन्मुख बने। इससे लोकतंत्र की जड़ें और भी मजबूत होंगी और हर मतदाता का अनुभव अधिक सकारात्मक होगा।
भारत निर्वाचन आयोग की ये 18 पहलें न केवल एक प्रशासनिक सुधार की ओर संकेत करती हैं, बल्कि एक सशक्त और उत्तरदायी लोकतंत्र की ओर भी कदम हैं। इन नवाचारों से आने वाले चुनाव और अधिक सुरक्षित, समावेशी और विश्वसनीय बनेंगे।