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छिंदवाड़ा-पांढुर्णा में वनमंडलों का पुनर्गठन, वन संरक्षण को मिलेगा नया आयाम!!!!!

6 March 2025 by
THE NEWS GRIT

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा छिंदवाड़ा जिले एवं नवगठित पांढुर्णा जिले के अंतर्गत तीन वनमंडलों - पूर्व छिंदवाड़ा, पश्चिम छिंदवाड़ा एवं दक्षिण छिंदवाड़ा का पुनर्गठन करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के तहत दक्षिण छिंदवाड़ा वनमंडल को समाप्त कर उसके वनक्षेत्रों को नवगठित पांढुर्णा वनमंडल तथा पूर्व और पश्चिम छिंदवाड़ा वनमंडलों में पुनः विभाजित किया जाएगा।

पुनर्गठन का स्वरूप

·         मंत्रि-परिषद द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार:

·         दक्षिण छिंदवाड़ा वनमंडल का 662.742 वर्ग कि.मी. क्षेत्र नवगठित पांढुर्णा वनमंडल में सम्मिलित किया जाएगा।

·         शेष 293.944 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को पूर्व एवं पश्चिम छिंदवाड़ा वनमंडलों में शामिल किया जाएगा।

·         वनमंडल दक्षिण छिंदवाड़ा को समाप्त कर दिया जाएगा।

·         पुनर्गठन के अनुसार, पदों का पुनः आवंटन भी किया जाएगा जिससे वन प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

​Primary Source - Metro city Media

पुनर्गठन के संभावित लाभ

वन संरक्षण को प्रोत्साहन: पुनर्गठित वनमंडलों के माध्यम से वन संसाधनों का अधिक कुशल प्रबंधन किया जा सकेगा।

प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि: वन विभाग के प्रशासनिक कार्यों का बेहतर प्रबंधन एवं सुचारू संचालन सुनिश्चित होगा।

स्थानीय विकास में सहूलियत: नए वनमंडल के गठन से क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा तथा वन संबंधित योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन संभव होगा।

नवगठित पांढुर्णा जिले में वन प्रशासन का विस्तार: पांढुर्णा जिले को नया वनमंडल मिलने से स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक लाभ मिलेगा।

पांढुर्णा जिले के बारे में

पांढुर्णा मध्य प्रदेश का 55वां ज़िला है, जिसे वर्ष 2023 में छिंदवाड़ा ज़िले से अलग कर बनाया गया था। यह ज़िला जबलपुर संभाग में आता है और दक्षिण-पूर्व में नागपुर, पश्चिम में बैतूल और अमरावती तथा उत्तर में छिंदवाड़ा ज़िलों से घिरा हुआ है। पांढुर्णा ज़िले का कुल क्षेत्रफल 1,522.22 वर्ग किलोमीटर है। यह क्षेत्र कृषि प्रधान है, जहां कपास, सोयाबीन और गेहूं जैसी फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती हैं।

इस पुनर्गठन से छिंदवाड़ा और नवगठित पांढुर्णा जिले में वन प्रशासन को अधिक संगठित और प्रभावी बनाया जा सकेगा। यह कदम वन संरक्षण को सुदृढ़ करेगा, पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में सहायक होगा और प्रशासनिक कार्यों को अधिक सुव्यवस्थित बनाएगा। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को भी इससे लाभ मिलेगा, जिससे उनका सतत विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।

​(Source – Jansampark Vibhag)

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THE NEWS GRIT 6 March 2025
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