मध्यप्रदेश मंत्रि-परिषद ने भारत सरकार के डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) के तहत प्रदेश में राजस्व भू-अभिलेखों के लंबित डिजिटाइजेशन के लिए 138 करोड़ 41 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की है। इस निर्णय का उद्देश्य राज्य में भूमि संबंधी अभिलेखों के डिजिटल रूपांतरण को सुनिश्चित कर प्रशासनिक कार्यप्रणाली को सुचारू बनाना है।
डिजिटाइजेशन के महत्व और उद्देश्य
राजस्व भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन से पारदर्शिता और सुलभता में वृद्धि होगी। इस पहल से नागरिकों को भूमि संबंधी दस्तावेजों की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और भूमि विवादों को कम किया जा सकेगा। डिजिटाइजेशन से भू-अभिलेखों को ऑनलाइन एक्सेस करना सरल होगा, जिससे राज्य में भूमि प्रबंधन और प्रशासन को मजबूती मिलेगी।
प्रोजेक्ट की क्रियान्वयन प्रक्रिया
डिजिटाइजेशन के इस कार्य को मध्यप्रदेश भू-अभिलेख प्रबंधन समिति (एमपीएलआरएस) द्वारा खुले निविदा (ओपन टेंडर) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। इसके अंतर्गत भूमि रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज कर एक सुरक्षित और सुलभ ऑनलाइन प्रणाली विकसित की जाएगी।
संभावित लाभ
भू-अभिलेखों की पारदर्शिता: डिजिटाइजेशन से भूमि रिकॉर्ड्स में पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे नागरिकों को सही जानकारी मिल सकेगी।
भ्रष्टाचार में कमी: डिजिटल प्रणाली से दस्तावेजों में छेड़छाड़ की संभावना कम होगी, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
समय और संसाधन की बचत: डिजिटाइजेशन से अभिलेखों की खोज और सत्यापन में लगने वाले समय और संसाधनों की बचत होगी।
भूमि विवादों का निवारण: भूमि संबंधी विवादों के समाधान में सहायता मिलेगी क्योंकि डिजिटल रिकॉर्ड्स प्रमाणिकता प्रदान करेंगे।
मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया मिशन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। राजस्व भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन से प्रदेश में प्रशासनिक सुधार होंगे और नागरिकों को लाभ मिलेगा। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से प्रदेश में भूमि प्रबंधन की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनेगी।
(Source – Jansampark Vibhag)