सागर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड एवं आयुष विभाग, सागर के संयुक्त तत्वावधान में "एक जिला एक औषधीय उत्पाद" (ODOP) योजना के अंतर्गत जिला आयुष कार्यालय सागर में कृषक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जिले में चयनित औषधीय पौधे अश्वगंधा की वैज्ञानिक खेती, औषधीय गुण तथा लाभों की जानकारी देकर कृषकों को जागरूक करना था।
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र सागर-2 के प्रमुख कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी द्वारा अश्वगंधा की खेती से जुड़ी वैज्ञानिक पद्धतियों, भूमि चयन, सिंचाई, देखरेख एवं उत्पादन तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने किसानों को बताया कि अश्वगंधा की खेती कम पानी में अधिक लाभ देने वाली फसल है, जिससे आर्थिक रूप से मजबूत हुआ जा सकता है।
इस अवसर पर जिला आयुष अधिकारी डॉ. जोगेन्द्र सिंह ठाकुर ने अश्वगंधा के औषधीय गुणों तथा स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अश्वगंधा को आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है। यह तनाव कम करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, तथा शारीरिक कमजोरी दूर करने में अत्यंत उपयोगी है।
कार्यक्रम में डॉ. रवि कुमार मिश्रा एवं डॉ. अनुभा जैन ने भी औषधीय पौधों के अन्य उपयोग एवं लाभ साझा किए। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों की खेती से जहां किसानों की आय बढ़ सकती है, वहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी यह वरदान साबित हो सकती है।
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक श्री पी.एस. बडोले ने किसानों को शासकीय योजनाओं की जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा औषधीय पौधों की खेती के लिए अनुदान एवं तकनीकी सहायता दी जा रही है। उन्होंने किसानों को अश्वगंधा की खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया ताकि जिले को औषधीय कृषि का केंद्र बनाया जा सके।
कार्यक्रम के समापन पर सहभागियों को अश्वगंधा के पौधे एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर डॉ. जोगेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि "एक जिला एक औषधीय उत्पाद" योजना के तहत सागर जिले में अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे अधिक से अधिक किसान जुड़कर लाभ कमा सकें और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी योगदान दे सकें।
(Source – PRO Sagar)