मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए "मध्य प्रदेश निर्यात नीति-2025" को स्वीकृति दी है, जो निर्यात अधोसंरचना को मजबूत करने और निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न वित्तीय और गैर-वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस नीति के तहत कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान और सहायता योजनाएँ निम्नलिखित हैं:
1. निर्यात प्रोत्साहन सहायता:
· वृहद श्रेणी की विनिर्माता इकाइयों द्वारा अपने उत्पादन का 25% से अधिक निर्यात करने पर सहायता प्रदान की जाएगी।
· पहली बार निर्यात करने वाली इकाइयों के लिए पंजीकरण और प्रमाणन की प्रतिपूर्ति अधिकतम 10 लाख रुपये तक।
· निर्यात बीमा प्रीमियम की प्रतिपूर्ति अधिकतम 25 लाख रुपये तक।
· निर्यात भाड़ा सहायता के रूप में फैक्टरी परिसर से बंदरगाह/ एयर कार्गों तक माल ले जाने के लिए किए गए व्यय की 50% प्रतिपूर्ति की जाएगी, अधिकतम 2 करोड़ रुपये तक।
· निर्यात अधोसंरचना सहायता के अंतर्गत परीक्षण प्रयोगशालाएं, अनुसंधान एवं विकास केंद्रों पर किए गए व्यय का 25% अधिकतम 1 करोड़ रुपये प्रदान किया जाएगा।
· इन्क्रीमेंटल फ्री ऑनबोर्ड वेल्यू पर 10% की सहायता 5 वर्षों तक अधिकतम 2 करोड़ रुपये निर्यात टर्नओवर सहायता के रूप में दी जाएगी।
· निर्यात विपणन सहायता में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों और केता-विक्रेता बैठकों में भाग लेने के लिए किए गए व्यय का 75% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 5 लाख रुपये प्रति वर्ष।
· निर्यात ग्रीन दस्तावेज सहायता के रूप में निर्यात प्रलेखन लागत (सीबीएएम नेट-जीरो उत्सर्जन कार्बन ऑफसेटिंग) पर किए गए व्यय का 50% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष, 5 वर्षों तक।
· निर्यात वित्तीय सहायता के रूप में लिए गए ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान, अधिकतम 50 लाख रुपये 5 वर्षों तक।
2. डे़केडिकेटेड एक्सपोर्ट पार्क्स (DEP) सहायता:
· न्यूनतम 25 एकड़ और 70% से अधिक निर्यात उन्मुखी इकाइयाँ, जिन्होंने पिछले 3 वर्षों में 25% से अधिक उत्पादन निर्यात किया हो, वे डेडीकेटेड एक्सपोर्ट पार्क्स (DEP) डेव्हलपर्स के लिए सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
· स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क पर 100% प्रतिपूर्ति।
· स्थायी अधोसंरचना (भूमि और आवासीय इकाइयों को छोड़कर) पर 50% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 20 लाख रुपये प्रति एकड़, अधिकतम 40 करोड़ रुपये तक।
· कॉमन प्रोसेसिंग फैसिलिटी पर 25% पूंजीगत सहायता, अधिकतम 25 करोड़ रुपये।
· हरित औद्योगीकरण में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 50% पूंजीगत अनुदान, अधिकतम 5 करोड़ रुपये और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपये का पूंजीगत अनुदान।
3. निर्यातोन्मुखी सहायता और कार्यक्रम:
· स्टार्टअप और नए निर्यातकों के लिए समर्पित निर्यात इनक्यूबेशन हब तैयार किए जाएंगे।
· उद्योग-संस्थान इंटरफेस को बढ़ावा देने के लिए व्यावसायिक संस्थानों में तकनीकी पाठ्यक्रमों का उन्नयन किया जाएगा।
· प्रदेश के छात्रों को ऑन-जॉब ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए संस्थानों के साथ साझेदारी की जाएगी।
· 20+ गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे, इसके लिए केंद्र सरकार से सहयोग लिया जाएगा।
· भंडारण और परिवहन अधोसंरचना को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त एमएमएलपी, एयर कार्गो हब और हवाई अड्डों का विकास किया जाएगा।
· जिला स्तर पर ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
4. निर्यात और पर्यावरण सहायता:
· एमएसएमई को पर्यावरण अनुपालन प्राप्त करने और जेडईडी (जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट) प्रमाणन प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए लक्षित कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
· ग्रीन कार्ड स्कीम के तहत न्यूनतम निरीक्षण और त्वरित मंजूरी के लिए एक कार्यक्रम स्थापित किया जाएगा।
· निर्यातक और आयातक इकाइयों के डेटाबेस को राज्य पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा।
5. वित्तीय और तकनीकी समर्थन:
· निर्यातकों को उनकी निर्यात दक्षता बढ़ाने और वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाने के लिए निर्यात विकास संवर्धन प्रोत्साहन सहायता प्रदान की जाएगी।
यह नीति राज्य में निर्यात को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर पैदा करने और वैश्विक बाजार में मध्य प्रदेश की उपस्थिति को सशक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।