मध्यप्रदेश के निवासियों के लिए मई 2025 के अंतिम सप्ताह में एक बेहद उत्साहजनक घोषणा सामने आई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में राज्य को तीन नई ट्रेन सेवाओं की सौगात देने की बात कही, जो आने वाले महीने जून में शुरू की जाएगी। ये ट्रेनें न केवल राज्य के भीतर और बाहर के प्रमुख शहरों को आपस में जोड़ेंगी, बल्कि इससे शिक्षा, रोजगार, व्यापार और पर्यटन को भी अभूतपूर्व गति मिलेगी।
तीन नई ट्रेनें मध्यप्रदेश से देश के तीन प्रमुख राज्यों की कनेक्टिविटी
रेल मंत्री द्वारा घोषित तीन नई ट्रेनें हैं – रीवा से पुणे, जबलपुर से रायपुर और ग्वालियर से बेंगलुरु। इन सभी सेवाओं को केंद्र सरकार की 'संपर्क और समावेशन' नीति का हिस्सा माना जा सकता है, जिसका उद्देश्य है छोटे और मध्यम शहरों को बड़े शैक्षणिक, औद्योगिक और तकनीकी केंद्रों से जोड़ना।
1. रीवा-सतना-जबलपुर-पुणे सेवा – शिक्षा और रोजगार की ओर एक आसान रास्ता
रीवा और सतना जैसे शहरों के छात्र वर्षों से पुणे की ओर उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। अब जब सीधी ट्रेन सेवा शुरू होगी, तो न केवल छात्रों को राहत मिलेगी, बल्कि उनके परिजनों के लिए भी यात्रा सस्ती, सुविधाजनक और सुरक्षित होगी। यह सेवा बुंदेलखंड क्षेत्र की शिक्षा-आधारित पलायन प्रक्रिया को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
2. जबलपुर-रायपुर सेवा (वाया नैनपुर, बालाघाट, गोंदिया)
यह सेवा उन क्षेत्रों को जोड़ती है जो अब तक विकास की मुख्यधारा से कुछ हद तक कटे हुए थे। मंडला, बालाघाट और गोंदिया जैसे जिलों से होकर गुजरने वाली यह ट्रेन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को जबलपुर से जोड़ती है। इससे वन आधारित उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा, स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और साथ ही आदिवासी समुदायों के लिए रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ होंगी।
3. ग्वालियर-भोपाल-पुणे-बेंगलुरु सेवा
यह ट्रेन उत्तर भारत के सांस्कृतिक शहर ग्वालियर को भारत के आईटी हब बेंगलुरु से जोड़ेगी। इस मार्ग के चालू हो जाने से भोपाल और गुना जैसे शहरों के तकनीकी और आईटी क्षेत्र से जुड़े युवा, नौकरी पेशा व्यक्ति और स्टार्टअप उद्यमियों को सीधा संपर्क मिलेगा। यह कनेक्टिविटी भारत के डिजिटल और आर्थिक मानचित्र में मध्यप्रदेश की भूमिका को और सशक्त बनाएगी।
मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएँ: ईंधन बचत, पर्यावरण संरक्षण और गति
नई ट्रेनों के साथ-साथ रेल मंत्री ने रतलाम-नागदा सेक्शन में तीसरी और चौथी रेल लाइन की परियोजना की भी जानकारी दी। यह परियोजना न केवल रेलवे यातायात को गति देगी बल्कि हर साल लगभग 7.5 करोड़ लीटर डीजल की बचत करेगी। यह परियोजना एक सतत विकास (sustainable development) के आदर्श उदाहरण के रूप में देखी जा सकती है, जहाँ अवसंरचना विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी प्राथमिकता दी गई है।
आर्थिक विकास और रणनीतिक निवेश
रेल मंत्री ने बताया कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में ₹1.01 लाख करोड़ की रेल परियोजनाएँ संचालित हैं, जो कि पूर्ववर्ती UPA सरकार के मुकाबले 28 गुना अधिक है। यह आँकड़ा बताता है कि राज्य के रेलवे विकास में अब केंद्र सरकार अधिक सक्रिय भूमिका निभा रही है।
सामाजिक समावेशन और क्षेत्रीय समानता की ओर कदम
इन रेल सेवाओं की विशेषता यह है कि ये सिर्फ महानगरों को नहीं, बल्कि मझोले और छोटे कस्बों को भी जोड़ती हैं। आदिवासी क्षेत्रों में ट्रेन पहुँचने से वहाँ के नागरिकों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार अवसर मिल सकेंगे। साथ ही यह परियोजनाएँ ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को भी साकार करती हैं।
रेल मंत्री ने यह भी आश्वस्त किया कि सिंहस्थ 2028 के लिए उज्जैन तक रेल सुविधाओं को प्रयागराज के कुंभ की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। छोटे अंडरपास, नए स्टेशन और यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कार्यों की योजना बनाई जा रही है।
मध्यप्रदेश के लिए घोषित ये नई ट्रेन सेवाएँ और मल्टीट्रैकिंग प्रोजेक्ट केवल परिवहन की व्यवस्था नहीं हैं, बल्कि ये सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिकीय संतुलन की ओर बढ़ते ठोस कदम हैं। ये योजनाएँ राज्य को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ते हुए एक समावेशी और संतुलित विकास मॉडल को दर्शाती हैं।
रेल मंत्री द्वारा घोषित यह “रेल क्रांति” यदि समयबद्ध और पारदर्शिता के साथ पूरी हुई, तो यह मध्यप्रदेश के विकास को नई दिशा देने में सक्षम होगी।