रविवार को आयोजित NEET UG 2025 परीक्षा के दौरान इंदौर शहर के कई परीक्षा केंद्रों पर गंभीर अव्यवस्थाएँ सामने आईं। धूल भरी आंधी और बारिश के कारण शहर के अनेक हिस्सों में बिजली आपूर्ति बाधित रही, जिसका असर परीक्षा केंद्रों पर भी स्पष्ट रूप से देखने को मिला। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि अधिकांश परीक्षा केंद्रों पर न तो जनरेटर मौजूद थे और न ही बैकअप के रूप में इनवर्टर उपलब्ध थे। इसके कारण सैकड़ों विद्यार्थियों को अंधेरे में, मोमबत्ती या कमजोर रोशनी वाली इमरजेंसी लाइट की सहायता से परीक्षा देनी पड़ी।
बिना बिजली के परीक्षा, उजाले की जगह मोमबत्ती का सहारा
शहर के प्रमुख केंद्रों में शामिल स्कीम 78, पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-1, मूसाखेड़ी और मालवा कन्या विद्यालय जैसे संस्थानों में बिजली बार-बार चली गई। इससे न केवल छात्रों की एकाग्रता प्रभावित हुई बल्कि कई छात्रों का कहना था कि वे पूरे प्रश्नपत्र को पढ़ भी नहीं सके। पीएमश्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-1 में लगभग 600 छात्रों को मोमबत्ती की रोशनी में परीक्षा देनी पड़ी। अभ्यर्थी किंजल गुप्ता ने बताया कि खराब रोशनी के चलते वह कुछ प्रश्नों को पढ़ ही नहीं सकी, जिससे उनका आत्मविश्वास हिल गया।
विरोध और धरना: छात्रों और अभिभावकों की नाराज़गी
स्कीम 78 स्थित एक सरकारी विद्यालय में स्थिति और भी खराब रही। परीक्षा के दौरान कई बार बिजली चली गई। कुछ समय के लिए इमरजेंसी लाइट्स चलाई गईं, लेकिन चार्जिंग कम होने के कारण वे भी 10 मिनट से अधिक नहीं चल सकी। परीक्षा के बाद विद्यार्थियों और उनके परिजनों ने स्कूल परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि इतनी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परीक्षा के लिए न तो प्रशासन ने पर्याप्त तैयारी की थी और न ही केंद्रों ने आवश्यक व्यवस्थाएँ की थीं।
राजगढ़ से आए छात्र पवन नागर ने बताया कि अंधेरे में वह करीब 15–20 प्रश्न हल नहीं कर पाए। वहीं, दूसरी बार परीक्षा दे रही छात्रा साक्षी ने भी बताया कि वह पूरे प्रश्नपत्र को हल नहीं कर सकी। उनका कहना था कि परीक्षा केंद्र की अव्यवस्था ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
अन्य केंद्रों पर भी रही यही स्थिति
मूसाखेड़ी और मालवा कन्या विद्यालयों में भी बिजली आपूर्ति में बार-बार व्यवधान आता रहा। इल्वा स्कूल में दोपहर 2:30 बजे से परीक्षा खत्म होने तक बिजली कई बार चली गई। परीक्षा समाप्ति के समय लगभग आधे घंटे तक कई कक्षों में अंधेरा छाया रहा। इससे छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
मालवा कन्या विद्यालय के प्राचार्य संजय मिश्रा ने बताया कि उन्हें राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की ओर से जनरेटर की व्यवस्था को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिले थे। उनका यह भी दावा था कि सिर्फ कुछ ही कमरों में बिजली की दिक्कत आई, जबकि अभिभावकों ने आरोप लगाया कि अधिकांश छात्र बिना रोशनी के ही पेपर हल कर रहे थे।
इंदौर प्रशासन की प्रतिक्रिया और सुधार की आवश्यकता
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने इन घटनाओं की पुष्टि करते हुए बताया कि कुछ परीक्षा केंद्रों पर पावर बैकअप की व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने कहा कि मौसम की अचानक बदलती स्थिति ने बिजली व्यवस्था को बाधित कर दिया और NTA की ओर से बैकअप व्यवस्था को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिले थे। साथ ही उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए नई रणनीति बनाई जाएगी और आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित किए जाएंगे।
प्रभावित छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा करवाने की मांग
इस पूरे घटनाक्रम ने परीक्षा जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। छात्रों और उनके अभिभावकों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही ने बच्चों के भविष्य को संकट में डाल दिया है। कई परिवारों ने यह मांग की है कि जिन छात्रों को अंधेरे और अव्यवस्था के चलते नुकसान हुआ है, उन्हें दोबारा परीक्षा देने का अवसर दिया जाए या उन्हें किसी प्रकार का उपयुक्त मुआवजा दिया जाए।
News Source - Naidunia