10 फरवरी 2025 को गवेषणा मानवोत्थान एवं पर्यावरण तथा स्वास्थ्य समिति द्वारा जिज्ञासा वाचनालय में एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का विषय था "प्राकृतिक चिकित्सा के मौलिक सिद्धांत और उनकी प्रामाणिकता"।
इस अवसर पर वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक और योग विशेषज्ञ डॉ. सत्यनारायण यादव ने अपने अनुभवों और विचारों को साझा करते हुए प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमा होना ही अधिकतर बीमारियों का मुख्य कारण है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति इन विषाक्त पदार्थों को सहज, सुरक्षित और प्रभावी तरीके से बाहर निकालने का सबसे बेहतर उपाय है। और डॉ. यादव जी ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ शरीर के तीन प्रमुख दोष हैं, जिन्हें "त्रिदोष" कहा जाता है। ये दोष हमारे शरीर और मन की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करते हैं। जब ये तीनों संतुलित रहते हैं, तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है, लेकिन असंतुलन होने पर विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
प्रकृति के पाँच तत्व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का मुख्य आधार हैं। डॉ. यादव ने खाने की अहमियत पर बल दिया और कहा कि खाना ही सबसे कारगर दवा है। हमारा खाना हमारे शरीर की सेहत पर असर डालता है और दिमागी विकास में भी अहम किरदार अदा करता है। उन्होंने योग और कसरत को जीवन का जरूरी हिस्सा बताया। ये न सिर्फ शरीर को तंदुरुस्त रखते हैं, बल्कि विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का भी कारगर जरिया हैं। अलग-अलग इलाज के तरीकों पर बात करते हुए डॉ. यादव ने कहा कि अन्य किसी भी इलाज के तरीके की आलोचना करना ठीक नहीं है। इसकी जगह, हमें इन तरीकों के बीच तालमेल और संतुलन बनाना चाहिए ताकि बीमारियों का असरदार इलाज हो सके और पूरी तरह से सेहत सुनिश्चित की जा सके।
डॉ. यादव ने इस बात पर जोर दिया कि प्राकृतिक चिकित्सा सिर्फ एक उपचार पद्धति नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। यह पद्धति शरीर की प्राकृतिक शक्तियों को मजबूत बनाकर बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। उन्होंने श्रोताओं को यह भी बताया कि कैसे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव और प्राकृतिक उपाय अपनाकर एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीया जा सकता है।
डॉ. यादव ने जोर देते हुए कहा कि अनुशासनपूर्ण जीवनशैली ही रोगमुक्त जीवन का आधार है, और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति इसमें हमारी सबसे प्रभावी मार्गदर्शक बन सकती है। कार्यक्रम के अंत में श्रोताओं ने प्राकृतिक चिकित्सक के अपने कुछ प्रश्नों को डॉ. यादव के सामने रखा और सवाल जवाबों के इस सिलसिला के बाद कार्यक्रम को पूर्णविराम दिया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. सत्यनारायण यादव (वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक और योग विशेषज्ञ) के साथ डॉ. अनिल तिवारी (विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग, सागर विश्वविद्यालय), मनोहर लाल चैरसिया (गवेषणा अध्यक्ष), डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. सुनील साहू, शिवकुमार, तथा जिज्ञासा लाइब्रेरी के सभी छात्र-छात्राओं द्वारा परिचर्चा में सक्रिय सहभागिता की गई।