आज का भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है – विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, स्वास्थ्य और वैश्विक पहचान के क्षेत्र में। लेकिन इस विकास यात्रा में एक ऐसी सामाजिक चुनौती भी है, जो राष्ट्र की ऊर्जा, विशेषकर युवा शक्ति को भीतर से खोखला कर रही है – वह है नशे की लत। इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक और जन-सहभागिता पर आधारित पहल की शुरुआत की – नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA)।
अभियान की शुरुआत और विस्तार
15 अगस्त 2020 को जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तब इस दिन एक नई सामाजिक क्रांति की नींव रखी गई। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रारंभ किया गया नशा मुक्त भारत अभियान, प्रारंभ में 272 जिलों में लागू किया गया था। लेकिन इसकी सफलता और आवश्यकताओं को देखते हुए इसे 2022 में 372 जिलों तक विस्तारित किया गया और 2023 से देश के सभी जिलों में लागू कर दिया गया।
उद्देश्य नशा नहीं, नव निर्माण
इस अभियान का मूल उद्देश्य केवल नशे से मुक्ति दिलाना नहीं, बल्कि समाज में वैज्ञानिक सोच, आत्म-विश्वास और जीवन मूल्यों को पुनर्स्थापित करना है। यह अभियान युवाओं को जागरूक करता है, उन्हें नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराता है, और पुनर्वास की दिशा में उन्हें मदद पहुंचाता है।
इसका विशेष ध्यान शैक्षणिक संस्थानों, महिलाओं, आश्रित आबादी, और कमजोर वर्गों पर है – क्योंकि ये वर्ग समाज के सबसे प्रभावशील स्तंभ हैं।
सेवा और संरचना
अभियान के सफल संचालन के लिए सरकार ने चार स्तरीय सेवाओं की व्यवस्था की है:
· IRCAs (एकीकृत पुनर्वास केंद्र) – जहां नशा मुक्ति के लिए रोगियों को चिकित्सकीय सुविधा प्रदान की जाती है।
· CPLI (सामुदायिक सहकर्मी नेतृत्व हस्तक्षेप) – जिसमें प्रशिक्षित युवा कार्यकर्ता समुदाय में जागरूकता फैलाते हैं।
· ODICs (आउटरीच और ड्रॉप-इन सेंटर) – जहां निःशुल्क परामर्श, चिकित्सा, और उपचार सेवाएं दी जाती हैं।
· जियो-टैगिंग – जिससे सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच ऑनलाइन ट्रैक की जा सकती है।
अब तक की प्रमुख उपलब्धियां (सितंबर 2024 तक)
· 12.78 करोड़ लोगों को नशा मुक्ति के प्रति किया गया जागरूक
· 4 करोड़+ युवाओं ने सक्रिय भागीदारी की
· 2.5 करोड़+ महिलाओं को प्रशिक्षण व जानकारी
· 3.7 लाख से अधिक स्कूल और कॉलेज शामिल
· 27.75 लाख+ नशा पीड़ितों को परामर्श और पुनर्वास
· देश भर में 755 से अधिक नशा मुक्ति केंद्र संचालित
जन-सहभागिता: अभियान की रीढ़
यह अभियान मात्र सरकारी प्रयास नहीं है। इसमें मास्टर वालंटियर्स, स्वयंसेवकों, और आध्यात्मिक संगठनों की बड़ी भूमिका है। "आर्ट ऑफ लिविंग", "ब्रह्माकुमारीज", "अखिल विश्व गायत्री परिवार", "संत निरंकारी मिशन", "इस्कॉन" जैसे संगठनों के सहयोग से ध्यान, योग, नैतिक शिक्षा, और आत्म-निर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है।
तकनीकी नवाचार और डिजिटल सहभागिता
आज की डिजिटल दुनिया में यह अभियान भी तकनीक से सुसज्जित है।
· NMBA मोबाइल ऐप के ज़रिए स्वयंसेवक अपनी गतिविधियाँ रिपोर्ट करते हैं।
· वेबसाइट (nmba.dosje.gov.in) पर अभियान की जानकारी, शपथ-पत्र, स्वयंसेवक बनने के अवसर आदि उपलब्ध हैं।
· टोल-फ्री हेल्पलाइन 14446 के माध्यम से लोग परामर्श और सहायता ले सकते हैं।
युवा: परिवर्तन के वाहक
अभियान की सबसे बड़ी ताकत है – भारत का युवा वर्ग। विद्यालयों और महाविद्यालयों में "नशा नहीं, शिक्षा चुनें", "कृत्रिम सुखों से नहीं, आत्म-बल से जिएं" जैसे संदेशों के साथ निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर मेकिंग, नुक्कड़ नाटक, रैलियां आयोजित की जाती हैं। यह जागरूकता केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रहती, बल्कि घरों, गांवों, शहरों और कार्यस्थलों तक पहुँचती है। एक नशा मुक्त भारत केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह हम सबकी साझी जवाबदारी है। माता-पिता, शिक्षक, चिकित्सक, सामाजिक कार्यकर्ता और मीडिया – सब मिलकर यदि नशे के खिलाफ खड़े हों, तो हर गली, हर मोहल्ला, हर शहर नशा मुक्त बन सकता है।
नशा मुक्ति – आत्मनिर्भर भारत की शर्त
नशा एक बंधन है – मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक। और मुक्ति केवल उपचार से नहीं, बल्कि चेतना से आती है। नशा मुक्त भारत अभियान केवल नशे का विरोध नहीं है, यह जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का उत्सव है।
यदि हर नागरिक संकल्प ले कि वह स्वयं भी नशे से दूर रहेगा और दूसरों को भी इस बुराई से उबारने में मदद करेगा, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत सचमुच नशा मुक्त और स्वस्थ राष्ट्र के रूप में विश्व के सामने एक उदाहरण बनेगा।