भोपाल जिले में हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से मियावाकी तकनीक के माध्यम से जंगल विकसित किए जाएंगे। इस संबंध में कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में सभी विभागों के अधिकारियों को वृक्षारोपण के लक्ष्यों के अनुरूप स्थानों के चिन्हांकन और तैयारियों के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए गए।
मियावाकी तकनीक क्या है?
मियावाकी तकनीक वनरोपण की एक खास विधि है, जिसमें छोटे-छोटे इलाकों में घने जंगल लगाए जाते हैं। इस तकनीक को जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था। इसे 'पॉट प्लांटेशन विधि' भी कहा जाता है।
वृक्षारोपण योजना और स्थानों का चयन
बैठक में निर्णय लिया गया कि भोपाल जिले के ग्राम पंचायत फंदा और जनपद पंचायत बैरसिया में लगभग 121 स्थानों पर 50 हजार से अधिक पौधारोपण किया जाएगा। वहीं, नगर निगम भोपाल द्वारा 7 से 8 स्थानों पर लगभग डेढ़ लाख पौधे लगाए जाएंगे। वृक्षारोपण के लिए चिन्हित किए गए प्रमुख स्थानों में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:
ग्राम कजलीखेड़ा
आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट
जंबूरी मैदान
बीएचईएल प्लांटेशन साइट की गैप फिलिंग
कलियासोत नदी के दोनों किनारे
केरवा कॉलेज के पीछे
सूरज नगर, बड़ा तालाब, छोटा तालाब क्षेत्र
एयरपोर्ट क्षेत्र, पक्षी विहार काली बाड़ी
बरखेड़ा पठानी, भानपुर नाला
छोटा तालाब डांडी पार्क, प्रियदर्शिनी पार्क
लहारपुर डेम के पास, चिरायु अस्पताल के सामने भैसाखेड़ी
पुलिस ट्रेनिंग अकादमी भौंरी, कान्हा सैंया
मियावाकी तकनीक से जंगलों का विकास
भोपाल जिले में मियावाकी तकनीक के माध्यम से घने जंगल विकसित करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए राम आस्था मिशन फाउंडेशन के सहयोग से पांच स्थानों का चयन किया गया है। ये स्थान हैं:
भोपाल एयरपोर्ट क्षेत्र
कलियासोत
केरवा डेम
बैरसिया की ग्राम पंचायत बर्रीखेड़ा
सूखी सेवनिया की गौशालाएं
स्थानीय संसाधनों का उपयोग
श्री आस्था फाउंडेशन द्वारा मियावाकी तकनीक के भारतीय संस्करण के अंतर्गत स्थानीय जैविक संसाधनों का उपयोग कर जंगल विकसित किए जाएंगे। इसमें शामिल हैं:
शहर के गीले कचरे
तालाबों से निकलने वाली जलकुंभी
मंदिरों से निकलने वाले फल-फूलों के अवशेष
गौशालाओं में उपलब्ध जैविक खाद
मृत पशुओं के शरीर से प्राप्त जैविक तत्व
विशेषज्ञों द्वारा प्रजेंटेशन
बैठक के दौरान श्री राम आस्था फाउंडेशन के श्री तन्मय जैन, सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी श्री रामेश प्रसाद सिंह, रिटायर्ड कर्नल हेमंत कक्कड़ और डॉ. श्रद्धा अग्रवाल द्वारा मियावाकी तकनीक से विकसित किए जाने वाले जंगलों की विस्तृत जानकारी का प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया।
बैठक में उपस्थित अधिकारी
बैठक में एडीएम श्री सिद्धार्थ जैन, श्री भूपेंद्र गोयल, श्री अंकुर मेश्राम, जिला पंचायत सीईओ श्रीमती इला तिवारी सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
भोपाल जिले
में मियावाकी तकनीक से विकसित होने वाले ये जंगल न केवल पर्यावरण संरक्षण में
सहायक होंगे, बल्कि जैव विविधता को भी समृद्ध
करेंगे। इस पहल से हरित क्षेत्र में वृद्धि होगी और शहर की जलवायु में सुधार आएगा।
(Source - PRO Bhopal)