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बेसहारा बच्चों को कानूनी पहचान दिलाने की एक मानवीय पहल: साथी अभियान!!!!

4 जून 2025 by
THE NEWS GRIT

बेसहारा और निराश्रित बच्चों की जिंदगी में सबसे बड़ी कमी होती है – पहचान की। बिना पहचान के न तो वे स्कूल जा सकते हैं, न स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकते हैं और न ही किसी सरकारी योजना का हिस्सा बन सकते हैं। इस समस्या को समझते हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA), नई दिल्ली ने "साथी अभियान" शुरू किया है, जो देशभर में तथा मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के माध्यम से प्रभावी रूप से चलाया जा रहा है।

अभियान का उद्देश्य

“साथी अभियान” का मुख्य उद्देश्य है – 18 वर्ष से कम आयु के बेसहारा बच्चों को कानूनी पहचान प्रदान करना, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ी योजनाओं का लाभ मिल सके। यह अभियान 5 अगस्त 2025 तक चलाया जा रहा है, और इसका संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) और जिला प्रशासन के समन्वय से किया जा रहा है।

साथी अभियान की विस्तृत अवधारणा

इस राष्ट्रीय अभियान का पूरा नाम है:

SAATHI – "Survey for Aadhaar and Access to Tracking and Holistic Inclusion"

यह केवल आधार कार्ड बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों की समग्र पहचान, ट्रैकिंग और समावेशन सुनिश्चित करने वाला एक व्यापक प्रयास है। इसमें उन सभी बच्चों को शामिल किया गया है जो किसी न किसी रूप में संरक्षकता, सुरक्षा और कानूनी पहचान से वंचित हैं।

किन बच्चों को शामिल किया गया है?

इस अभियान में उन सभी बच्चों को शामिल किया गया है जो समाज में सबसे अधिक असुरक्षित स्थिति में हैं। जैसे:

·         माता-पिता या संरक्षक के बिना जी रहे बच्चे

·         सड़कों, झुग्गियों, या रेलवे स्टेशनों पर रहने वाले बच्चे

·         अनाथ, परित्यक्त, या अपंजीकृत बालगृहों में रहने वाले बच्चे

·         तस्करी, बाल श्रम, या भीख मांगने से बचाए गए बच्चे

·         देखभाल संस्थानों से बाहर बच्चे या लापता होकर मिले बच्चे जिन्हें परिवार को नहीं सौंपा गया।


ये वे बच्चे हैं जो अक्सर सरकारी योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य नागरिक सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं, इसलिए “साथी अभियान” उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

कार्यप्रणाली: कैसे चल रहा है अभियान?

अभियान के अंतर्गत पैरालीगल वालेन्टियर्स, विद्यार्थियों, आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा की मदद से ऐसे बेसहारा बच्चों की पहचान की जा रही है जो बिना परिवार, संरक्षक या किसी स्थायी आश्रय के जीवन व्यतीत कर रहे हैं। पहचान के बाद यदि किसी बच्चे के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, तो प्रशासन द्वारा उसका प्रमाण पत्र तैयार करवाया जाता है, ताकि उसकी कानूनी पहचान सुनिश्चित की जा सके। इसके पश्चात् उस दस्तावेज़ के आधार पर बच्चे का आधार कार्ड बनाया जाता है, जिसमें उसकी बायोमेट्रिक जानकारी जैसे फिंगरप्रिंट और आंख की स्कैनिंग शामिल की जाती है। यह प्रक्रिया बच्चों को उनकी पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस अभियान से कैसे होगा बच्चों का विकास?

इस अभियान के माध्यम से बच्चों को सबसे पहले कानूनी पहचान प्राप्त होती है, जो आधार कार्ड के रूप में उन्हें नागरिक अधिकारों से जोड़ती है। पहचान मिलने के बाद ये बच्चे अब शिक्षा, छात्रवृत्ति, पोषण योजनाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं का लाभ लेने में सक्षम हो जाते हैं। इसके साथ ही वे बाल मजदूरी, शोषण और मानव तस्करी जैसे गंभीर खतरों से भी सुरक्षित हो जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया का सबसे सकारात्मक प्रभाव यह होता है कि बच्चों के भीतर आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित होती है, जो उन्हें एक सम्मानजनक और सुरक्षित भविष्य की ओर ले जाती है।

देवास जिले में गतिविधियां

देवास जिले में इस अभियान को प्रधान जिला न्यायाधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष श्री अजय प्रकाश मिश्र के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है। सचिव श्री रोहित श्रीवास्तव ने समिति की बैठक आयोजित की, जिसमें सभी संबंधित विभागों को बच्चों की पहचान कर उनका दस्तावेज़ बनवाने के निर्देश दिए गए।

NALSA की पहल: हर बच्चे को मिले पहचान और संरक्षण

NALSA (National Legal Services Authority) भारत में कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता देने वाली सर्वोच्च संस्था है। इसका उद्देश्य है – गरीब, दलित, महिलाओं, बच्चों और पीड़ितों को कानूनी अधिकारों से जोड़ना, कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देना और वंचित वर्गों को सरकारी सेवाओं तक पहुँच दिलाना। “साथी अभियान” उसी उद्देश्य को साकार करता है – एक बच्चे को पहचान देकर, उसे एक सुरक्षित, न्यायपूर्ण और अधिकारयुक्त जीवन की ओर ले जाना।

“साथी अभियान” सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक ऐसा मानवीय संकल्प है जो बच्चों को दोबारा पहचान, सुरक्षा और गरिमा से जीने का अधिकार देता है। यह पहल बच्चों को केवल कागज़ी पहचान नहीं देती, बल्कि उनके भविष्य के दरवाज़े खोलती है – शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की दिशा में। यह अभियान इस बात का प्रतीक है कि जब न्याय व्यवस्था, प्रशासन और समाज एकजुट होकर काम करते हैं, तो कोई भी बच्चा अंधकार में नहीं रह जाता – हर बच्चा उम्मीद और अवसर की रौशनी तक पहुँच सकता है, और यही बात देश को विकास और तरक्‍की की तरफ ले जाती है।

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THE NEWS GRIT 4 जून 2025
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