मध्यप्रदेश को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है। राज्य के सागर जिले में 12 अप्रैल 2025 को "डॉ. भीमराव अम्बेडकर अभ्यारण्य" के रूप में 25वां वन्यजीव अभ्यारण्य अधिसूचित किया गया। यह अभ्यारण्य उत्तर सागर वनमंडल की बंडा और शाहगढ़ तहसीलों के आरक्षित वनों में स्थित है, तथा इसका कुल क्षेत्रफल 258.64 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस संरक्षित क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य जैव विविधता एवं वन्यजीवों का संरक्षण, पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखना, पार्यटन और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना और साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करना है। इस अभ्यारण्य की स्थापना से न केवल वन्य जीवन को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि क्षेत्रीय जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र में भी संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलेगी। यह कदम वन और पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में एक बड़ी और दूरदर्शी नीति का हिस्सा है।
इस वन्यजीव अभ्यारण्य को यह बात भी खास बनाती है, कि 12 अप्रैल को इस वन्यजीव अभ्यारण्य कि अधिसूचना जारी की गई, और आज ही 14 अप्रैल के दिन डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की 135वीं जयंती को देश भर में मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा साहेब के नाम समर्पित यह अभ्यारण्य संविधान निर्माता के प्रति हमारे सम्मान और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यह निर्णय समावेशी विकास एवं हमारे संकल्प की दिशा में एक नया कदम और बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि है।
आइये जाने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के बारे में
डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारत के संविधान निर्माता, महान समाज सुधारक, विधिवेत्ता और अर्थशास्त्री थे, जिनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की और भारत के पहले ऐसे व्यक्ति बने जिन्होंने विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि ली। डॉ. अम्बेडकर ने जीवनभर दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और छुआछूत व जातिवाद के खिलाफ प्रभावशाली आंदोलन चलाया। वे भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष रहे, और उन्होंने समानता, स्वतंत्रता व बंधुत्व के सिद्धांतों पर आधारित एक समावेशी संविधान की रचना की। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और सामाजिक परिवर्तन का नया मार्ग प्रशस्त किया। डॉ. अम्बेडकर आज भी सामाजिक न्याय और मानव अधिकारों के प्रतीक माने जाते हैं।
मध्य प्रदेश के सभी 25 अभ्यारण्य
डॉ. भीमराव अम्बेडकर वन्यजीव अभ्यारण्य को मिलाकर अब मध्यप्रदेश में कुल 25 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं, जो राज्य की समृद्ध जैवविविधता और पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। यह रहे वह अभ्यारण्य,
1. |
बगदरा (सिंगरौली) |
2. |
बोरी (होशंगाबाद) |
3. |
गांधी सागर (मंदसौर) |
4. |
गंगऊ (पन्ना) |
5. |
घाटीगांव (ग्वालियर) |
6. |
करेरा (शिवपुरी) |
7. |
केन घड़ियाल (पन्ना) |
8. |
खेओनी (देवास) |
9. |
कूनो पालपुर (श्योपुर) |
10. |
नरसिंहगढ़ (राजगढ़) |
11. |
चंबल (मुरैना) |
12. |
नौरादेही (सागर) |
13. |
ओरछा (टीकमगढ़) |
14. |
पचमढ़ी (होशंगाबाद) |
15. |
पनपथा (उमरिया) |
16. |
पेंच [मोघली] (सिवनी) |
17. |
फेन (मंडला) |
18. |
रालामंडल (इंदौर) |
19. |
रातापानी (रायसेन) |
20. |
सैलाना (रतलाम) |
21. |
सरदारपुर (धार) |
22. |
संजय [डुबरी] (सीधी) |
23. |
सिंघौरी (रायसेन) |
24 |
सोन घड़ियाल (शहडोल) |
25. |
डॉ. भीमराव अंबेडकर अभयारण्य (सागर) |
ये सभी अभ्यारण्य मध्यप्रदेश को जैविक विविधता और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी बनाते हैं। डॉ. भीमराव अम्बेडकर वन्यजीव अभ्यारण्य की स्थापना न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि यह हमारे संविधान निर्माता को प्रकृति और सामाजिक न्याय के माध्यम से दी गई सार्थक श्रद्धांजलि भी है। यह अभ्यारण्य जैव विविधता को संरक्षित करने, पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने और स्थानीय लोगों के लिए सतत आजीविका के अवसर विकसित करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है। यह प्रयास यह संदेश देता है कि जब विकास, प्रकृति और सामाजिक समरसता को साथ लेकर चला जाए, तो वह न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी एक स्थायी विरासत बन सकता है।