भारत की कृषि परंपरागत रूप से श्रम-प्रधान रही है, लेकिन अब इस क्षेत्र में तकनीक की नई बयार बह रही है। "नमो ड्रोन दीदी योजना" इसी बदलाव का प्रतीक बनकर सामने आई है। जो न केवल कृषि कार्यों को आधुनिक बना रही है, बल्कि महिलाओं को भी तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर कर रही है। यह योजना उन महिलाओं की कहानी कहती है जो खेतों में सिर्फ श्रमिक नहीं, बल्कि तकनीकी नवाचार की अगुवाई कर रहीं है।
साक्षी पांडे की कहानी: बदलाव की मिसाल
मध्यप्रदेश के सागर ज़िले के पडरिया गांव की रहने वाली साक्षी पांडे इस योजना की एक सशक्त उदाहरण हैं। मध्यप्रदेश आजीविका मिशन के तहत वे इफको द्वारा संचालित 15 दिवसीय ड्रोन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ीं। यह प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क था, जिसमें उन्हें ड्रोन उड़ाने, उसकी तकनीक समझने और कीटनाशक व उर्वरक के छिड़काव की विधियों का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया।
प्रशिक्षण के बाद उन्हें मार्च 2023 में एक ड्रोन, एक इलेक्ट्रिक व्हीकल और एक जनरेटर उपलब्ध कराया गया – ये सभी भी योजना के अंतर्गत निःशुल्क दिए गए संसाधन थे। अब साक्षी किसानों के खेतों में जाकर ड्रोन से नैनो यूरिया और पेस्टिसाइड्स का छिड़काव करती हैं। इससे किसानों को उत्पादन में बढ़ोतरी, जल संरक्षण और लागत में कमी जैसे लाभ मिल रहे हैं।
नैनो तकनीक के उपयोग का संदेश
साक्षी केवल एक ड्रोन ऑपरेटर नहीं हैं, बल्कि वे किसानों में जागरूकता फैलाने वाली एक प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं। वे उन्हें यह समझाती हैं कि पारंपरिक दानेदार यूरिया मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाता है, जबकि नैनो यूरिया की थोड़ी मात्रा ही पत्तियों तक पोषण पहुंचाने में अधिक कारगर होती है। इसी तरह नैनो पेस्टिसाइड्स का सटीक छिड़काव भी कम लागत में बेहतर परिणाम देता है।
आत्मनिर्भरता की उड़ान
प्रत्येक एकड़ छिड़काव पर साक्षी को ₹200 से ₹300 की आय होती है। इस प्रकार वे एक महीने में खेती के सीजन में ₹20,000 से ₹25,000 तक की कमाई कर लेती हैं। यह कमाई न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भी बना रही है। उनके कार्य की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर भी हुई। स्वतंत्रता दिवस 2023 पर उन्हें लाल किले पर आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और दिल्ली भ्रमण भी किया।
"नमो ड्रोन दीदी योजना" की संरचना और उद्देश्य
केंद्र सरकार की यह योजना एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है, जिसका उद्देश्य महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ड्रोन तकनीक से लैस कर उन्हें कृषि सेवाओं में प्रशिक्षण व अवसर देना है। इसका लक्ष्य है कि 2024-25 से 2025-26 तक देशभर में 15,000 महिला एसएचजी को प्रशिक्षित कर उन्हें ड्रोन स्प्रे सेवाओं के लिए तैयार किया जाए। इससे प्रति समूह प्रति वर्ष कम से कम ₹1 लाख की अतिरिक्त आमदनी सुनिश्चित हो सके।
नमो ड्रोन दीदी योजना की मुख्य विशेषताएं
· ड्रोन की खरीद के लिए महिला डीएवाई एनआरएल- एसएचजी को सब्सिडी
· ड्रोन की कीमत का 80% सब्सिडी के रूप में 8 लाख तक
· ड्रोन की शेष लागत के लिए एआईएफ से ऋण सुविधा
· 3% ब्याज दर पर आसान ऋण
· ड्रोन पैकेज के एक भाग के रूप में ड्रोन पायलट प्रशिक्षण
· ड्रोन के जरिए अतिरिक्त 1 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाने का मौका
· महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से किसानों को ड्रोन स्प्रे सेवा किराये पर देना
व्यापक प्रभाव: केवल तकनीक नहीं, सामाजिक बदलाव भी
यह योजना केवल आधुनिक तकनीक को खेतों में उतारने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभाव कहीं व्यापक हैं:
महिलाओं का सशक्तिकरण
महिलाएं, जो पहले पारंपरिक घरेलू भूमिकाओं तक सीमित थीं, अब तकनीक आधारित कृषि सेवाओं की पेशेवर प्रदाता बन रही हैं। उन्हें प्रशिक्षण के दौरान फसल सर्वेक्षण, मिट्टी विश्लेषण, और सिंचाई प्रबंधन जैसी उन्नत जानकारी दी जाती है।
कृषि दक्षता में सुधार
ड्रोन तकनीक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक और असमान प्रयोग की समस्या को खत्म करती है। यह खेतों के ऊपर एक समान छिड़काव सुनिश्चित करती है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव भी घटता है और लागत भी कम होती है।
जल संरक्षण और फसल सुरक्षा
परंपरागत छिड़काव में एक एकड़ में 80-90 लीटर पानी लगता है, जबकि ड्रोन से यही काम 12 लीटर में हो जाता है। साथ ही, खेत में अंदर घुसने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे फसल को भी कोई नुकसान नहीं होता।
समुदाय निर्माण और नेटवर्किंग
ड्रोन दीदियां विभिन्न मंचों और कार्यशालाओं में अपने अनुभव साझा करती हैं। इससे उन्हें नए विचार, सहयोग और मार्गदर्शन मिलते हैं जो उनकी पेशेवर यात्रा को और समृद्ध करते हैं।
यह ग्रामीण भारत में तकनीक, आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण का संगम है। साक्षी पांडे जैसी महिलाएं इस योजना की सफलता की कहानियां बन रही हैं, जो यह साबित करती हैं कि सही दिशा और संसाधन मिलने पर महिलाएं न केवल अपनी ज़िंदगी बदल सकती हैं, बल्कि समाज और कृषि की दिशा भी तय कर सकती हैं।
यह योजना आने वाले समय में भारतीय कृषि में क्रांति का वाहक बन सकती है, जहाँ आधुनिक तकनीक, दक्षता, पर्यावरण संरक्षण और महिला भागीदारी – सभी मिलकर एक सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकते हैं।