जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस (GDM) गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिससे मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस समस्या की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था मधुमेह दिवस, जो प्रतिवर्ष 10 मार्च को मनाया जाता है, के अवसर पर विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं में जागरूकता कार्यक्रम और नि:शुल्क जांच शिविरों का आयोजन किया गया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारजनों को जीडीएम की जांच और समय पर पंजीकरण करवाने के प्रति जागरूक करना है।
गर्भावस्था में मधुमेह (GDM) क्या है? जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस वह अवस्था होती है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान पहली बार खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। यह समस्या हार्मोनल एवं शारीरिक परिवर्तनों के कारण उत्पन्न होती है, जिससे शरीर सामान्य रूप से शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। परिणामस्वरूप, खून में शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जो मां और गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।
GDM के दुष्प्रभाव
· समयपूर्व प्रसव का खतरा
· अधिक वजन वाला शिशु जन्म लेने की संभावना
· नवजात में शुगर के स्तर में गिरावट
· प्रसव के दौरान जटिलताएँ
· भविष्य में मां और शिशु दोनों को टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा
जीडीएम के लक्षण:
· ज़्यादा प्यास लगना
· बार-बार पेशाब आना
· मुंह का सूखना
· थकान
· धुंधला दिखाई देना
स्वास्थ्य विभाग की पहल - भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण का पता चलते ही तुरंत स्वास्थ्य कर्मियों से संपर्क कर पंजीकरण एवं जांच करानी चाहिए। जीडीएम की जांच सुविधा जिला चिकित्सालय, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों में नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई है।
जीडीएम से बचने के उपाय:
· वज़न को संतुलित रखना
· स्वस्थ जीवनशैली अपनाना
· नियमित व्यायाम करना
· संतुलित आहार का सेवन
· शुगर के स्तर की नियमित जांच कराना
गर्भावस्था में मधुमेह एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन समय पर जांच और उचित देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। गर्भावस्था मधुमेह दिवस पर किए गए जागरूकता कार्यक्रम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। सभी गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे समय पर जांच कराएं और संतुलित आहार एवं स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर अपने और अपने शिशु के स्वास्थ्य की रक्षा करें।
(Source - PRO Sagar)