मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में अपने मंत्री-परिषद द्वारा बॉयो फ्यूल योजना-2025 को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य प्रदेश को जैव ईंधन उत्पादन में अग्रणी बनाना है। यह योजना प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा नीति-2025 के तहत तैयार की गई है, जिससे कृषि और जैव अपशिष्ट का बेहतर उपयोग हो सके और हरित ऊर्जा का उत्पादन बढ़े।
बॉयो फ्यूल (Biofuel) ऐसे ईंधन को कहा जाता है जो जैविक स्रोतों से प्राप्त होता है, जैसे कि पौधे, जीवाणु, या पशु से प्राप्त सामग्री। यह पारंपरिक पेट्रोल, डीजल और कोयले जैसे खनिज ईंधनों का पर्यावरण-friendly विकल्प है। बॉयो फ्यूल का उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, और यह कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से उत्पादित होता है और पुनर्नवीनीकरण योग्य होता है।
योजना के मुख्य बिंदु:
· बॉयोफ्यूल उत्पादन को बढ़ावा: योजना के तहत जैव ईंधन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स और बायो ऊर्जा संयंत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह यूनिट्स बॉयो सीएनजी, बॉयो मास ब्रिकेट्स, पेलेट्स, बायोडीजल जैसे ईंधनों का उत्पादन करेंगी।
· कृषि संस्थाओं को लाभ: किसान संस्थाओं को कृषि उपकरणों पर सब्सिडी मिलेगी, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सकेगी। इसके अलावा, बॉयो मास और खाद की बिक्री को सुनिश्चित किया जाएगा और सप्लाई चैन को मजबूत किया जाएगा।
· भूमि की प्राथमिकता: जैव ईंधन उत्पादन यूनिट्स को भूमि प्राथमिकता पर दी जाएगी। इसके अलावा, बॉयो मास उत्पादन के लिए सरकारी भूमि का उपयोग कलेक्टर दर के 10% वार्षिक शुल्क पर किया जा सकेगा।
· निवेश प्रोत्साहन: बॉयोफ्यूल यूनिट्स को 1200 करोड़ रुपए तक के बुनियादी निवेश प्रोत्साहन मिलेंगे, साथ ही बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन, सड़क, जल निकासी, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली जैसे आधारभूत विकास कार्यों के लिए 50% प्रोत्साहन, अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक सहायता दी जाएगी।
· ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में कमी: इस योजना के माध्यम से जैव ईंधन की ऊर्जा आपूर्ति बढ़ाई जाएगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जो पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की प्रगति:
मध्यप्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2012 में 500 मेगावाट क्षमता से शुरू हुई सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन की क्षमता आज बढ़कर 7000 मेगावाट से अधिक हो गई है। इसके अलावा, कृषि अवशेष, जंगलों से निकली घास, नगरीय अपशिष्ट आदि से बॉयो सीएनजी, ब्रिकेट्स, पैलेट्स और बायोडीजल जैसे ऊर्जा के स्रोतों का उत्पादन किया जाएगा।
भविष्य की ऊर्जा और हरित समाधान:
हाइड्रोजन को भविष्य की ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है, और इस क्षेत्र में भी प्रदेश में प्रगति की उम्मीद जताई जा रही है। यह नीति प्रदेश को हरित ऊर्जा और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाएगी। इस तरह, जहां एक ओर इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
बॉयो फ्यूल योजना-2025 मध्यप्रदेश को जैव ईंधन उत्पादन में एक अग्रणी राज्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इससे प्रदेश में कृषि के नए उपयोग और हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही यह पर्यावरण के प्रति प्रदेश की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।