मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश में लॉजिस्टिक अधोसंरचना के विकास और समग्र आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक नीति 2025 को स्वीकृति दी है। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य राज्य में दक्ष, विश्वसनीय और अनुकूल लॉजिस्टिक ढांचे का निर्माण करना है, जो न केवल व्यवसायों की आवश्यकता को पूरा करे, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी टिकाऊ हो। इसके तहत लॉजिस्टिक लागत को वर्ष 2030 तक वैश्विक मानकों के अनुरूप कम करने और डेटा आधारित निर्णय समर्थन तंत्र स्थापित करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे। यह नीति राज्य में लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार लाने के साथ-साथ प्रदेश को एक समृद्ध और प्रतिस्पर्धी व्यापारिक गंतव्य बनाने का लक्ष्य रखती है।
मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक नीति 2025 के अंतर्गत स्वीकृत किए गए विभिन्न प्रोत्साहनों और सहायता राशि को इस प्रकार विस्तार से प्रस्तुत किया जा सकता है:
- लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना:
- लॉजिस्टिक पार्क के लिए क्षेत्रफल 25 एकड़ से 75 एकड़ तक विकसित करने पर अधिकतम 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- यदि क्षेत्रफल 75 एकड़ से अधिक होता है, तो विकास हेतु 75 करोड़ रुपये तक की सहायता दी जाएगी।
- ग्रीन लॉजिस्टिक्स पार्क एवं वेयरहाउस सर्टिफिकेशन:
- आईजीबीसी ग्रीन लॉजिस्टिक्स पार्क और गोल्ड एवं प्लैटिनम प्रमाणन प्राप्त करने हेतु वेयरहाउस सर्टिफिकेशन के लिए 50% तक की सहायता, अधिकतम 20 लाख रुपये तक प्रदान की जाएगी। यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उन्नत और टिकाऊ लॉजिस्टिक हब विकसित करने में मदद करेगा।
- बाह्य सड़क/रेल अधोसंरचना विकास:
- लॉजिस्टिक पार्क या अन्य परियोजनाओं तक पहुँचने हेतु बाह्य सड़क या रेल अधोसंरचना के विकास पर व्यय की गई राशि की 50% प्रतिपूर्ति की जाएगी। इस सहायता की अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपये तक होगी, ताकि परियोजना स्थल तक की कनेक्टिविटी बेहतर हो सके।
- प्राइवेट फ्रीट टर्मिनल, गति शक्ति कार्गो टर्मिनल, कंटेनर फ्रीट स्टेशन और एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स:
- इन महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक ढांचों के निर्माण पर भी सहायता प्रदान की जाएगी:
- 5 से 10 एकड़ क्षेत्र में निर्माण हेतु 5 करोड़ रुपये तक।
- 10 से 50 एकड़ क्षेत्र में निर्माण हेतु 15 करोड़ रुपये तक।
- 50 एकड़ से अधिक
क्षेत्र में निर्माण हेतु 25 करोड़ रुपये तक की
वित्तीय सहायता उपलब्ध होगी।
- कृषि वेयरहाउस से औद्योगिक वेयरहाउस में उन्नयन:
- यदि कोई संस्था कृषि वेयरहाउस को औद्योगिक वेयरहाउस में अपग्रेड करती है, तो उस पर किए गए व्यय की 40% प्रतिपूर्ति की जाएगी, अधिकतम 1 करोड़ रुपये तक। यह कदम कृषि से औद्योगिक क्षेत्र में लॉजिस्टिक को बढ़ावा देगा।
- बाह्य सड़क/रेल अधोसंरचना के लिए सहायता (कृषि वेयरहाउस उन्नयन परियोजना):
- परियोजना स्थल तक पहुँचने के लिए बाह्य सड़क/रेल अधोसंरचना के विकास पर की गई राशि की 50% प्रतिपूर्ति, अधिकतम 3 करोड़ रुपये तक की जाएगी।
- भूमि आवंटन एवं प्रोत्साहन:
- लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग गतिविधियों के लिए अविकसित भूमि का आवंटन कलेक्टर गाइडलाइन दर के अनुसार किया जाएगा।
- लॉजिस्टिक हब या पार्क की स्थापना हेतु भूमि क्रय पर 100% स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी, जिसमें अधिकतम राशि 5 करोड़ रुपये तक होगी।
- अन्य गैर वित्तीय सहायता:
- एक्जिम कार्गो के लिए ग्रीन चैनल का विकास।
- फास्ट-ट्रैक भवन अनुमति का प्रावधान, जिससे परियोजना को त्वरित अनुमोदन मिल सके।
- सिंगल विडो सिस्टम के तहत सभी प्रक्रियाएं एक ही जगह पर पूरी की जाएंगी।
- 24x7 निरंतर संचालन की अनुमति का प्रावधान, ताकि लॉजिस्टिक संचालन बिना किसी रुकावट के चल सके।
- ग्राउंड कवरेज में रियायत – लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग अधोसंरचना के लिए 70% तक उच्च ग्राउंड कवरेज की अनुमति दी जाएगी, ताकि अधिक क्षेत्र का उपयोग किया जा सके और प्रोजेक्ट की क्षमता बढ़ सके।
मध्यप्रदेश की यह नई लॉजिस्टिक नीति 2025 प्रदेश में लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा लॉजिस्टिक पार्क, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब, और अन्य आवश्यक ढांचे की स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे राज्य में व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियाँ और तेज़ी से बढ़ेंगी। यह नीति न केवल लॉजिस्टिक लागत को कम करने में मदद करेगी, बल्कि डेटा संचालित निर्णय समर्थन तंत्र की स्थापना करके भविष्य में बेहतर निर्णय लेने में भी सहायक होगी।