मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में प्रदेश के विभिन्न विभागों की हितग्राहीमूलक योजनाओं की समीक्षा के लिए एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में उन्होंने प्रदेश के विकास और जनकल्याण के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से राज्य की योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान और उन तक त्वरित लाभ पहुंचाने पर जोर दिया।
जनकल्याण ही सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बैठक में कहा, "जनकल्याण ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है।" उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रदेश की सरकार ने अपने विकास कार्यक्रमों में जनकल्याण को सबसे ऊपर रखा है, और यह तभी संभव हो सकता है जब योजनाओं का लाभ सही पात्र व्यक्ति तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की बात कही कि प्रदेश का कोई भी पात्र व्यक्ति सरकार की योजनाओं से वंचित न रहे।
प्रदेश के विकास में नागरिकों की भागीदारी
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के समग्र विकास में हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी बेहद जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी जरूरतमंद और पात्र हितग्राहियों को उनकी जरूरत के मुताबिक त्वरित लाभ दिया जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो और राज्य के प्रत्येक नागरिक तक इसका लाभ पहुंचे।
योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की कोई कमी न हो और समयबद्ध तरीके से उनका लाभ लाभार्थियों तक पहुंचे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हितग्राहियों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से किया जाए ताकि योजनाओं का प्रभाव पूरी तरह से जनसाधारण तक पहुंचे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यह समीक्षा बैठक प्रदेश के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। उनके द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों से यह साफ है कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य सिर्फ विकास नहीं, बल्कि नागरिकों का समग्र कल्याण है। यदि सभी योजनाओं का लाभ सही तरीके से पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे, तो निश्चित रूप से राज्य में विकास की नई ऊँचाइयों को छुआ जा सकेगा।
(सोर्स पी.आर.ओ सागर)