मध्यप्रदेश में नशा-मुक्त भारत अभियान के तहत एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। अब सभी छात्रावासों में नशा-मुक्ति समितियां बनाई जाएंगी। ये समितियां स्कूल और कॉलेजों में काम करेंगी और छात्रों को नशे के नुकसान के बारे में बताएंगी। इस बारे में एक राज्य स्तर की बैठक भी हुई, जिसे प्रमुख सचिव सोनाली पोंक्षे वायंगणकर ने संभाला। भारत सरकार ने अगस्त 2020 में 'नशा-मुक्त भारत' अभियान शुरू किया।
इसका मुख्य मकसद लोगों को नशे के नुकसान के बारे में जागरूक करना और इसके खिलाफ एक जन जागरण लाना है। इस अभियान में प्रदेश के सभी 55 जिलों को शामिल किया गया है। सरकार यह चाहती है कि यह अभियान सिर्फ बड़े शहरों तक ही न रहे, बल्कि गांवों और स्कूलों में भी इसे फैलाया जाए।
नशा-मुक्ति समितियों का गठन
राज्य की बैठक में तय किया गया कि सभी छात्रावासों में नशा-मुक्ति समितियां बनाई जाएंगी। इन समितियों का काम होगा छात्रों को नशे के नुकसान के बारे में बताना और उन्हें नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करना। इनका मकसद है छात्रों में जागरूकता बढ़ाना और उनके सोच में सकारात्मक बदलाव लाना।
मास्टर वॉलंटियर्स का योगदान
नशा-मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए 11,500 मास्टर वॉलंटियर्स की टीम बनाई गई है। ये वॉलंटियर्स समाज में जागरूकता फैलाने और लोगों को नशे के नुकसान के बारे में बताने का काम कर रहे हैं। मास्टर वॉलंटियर्स की मदद से यह अभियान ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा।
विभागों की सक्रिय भागीदारी
प्रमुख सचिव श्रीमती सोनाली पोंक्षे वायंगणकर ने राज्य स्तरीय समिति के सभी सदस्य विभागों से नशा-मुक्ति अभियान में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है। इनमें लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास, आयुष, अनुसूचित जाति कल्याण, भारत सरकार का नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, मध्यप्रदेश पुलिस की नार्कोटिक्स विंग और राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम जैसे कई जरूरी विभाग शामिल हैं। इसके साथ ही, यूएनडीपी जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भी इस अभियान में अहम भूमिका रहने वाली है।
नशा-मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य समाज में नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाना और नशे के खिलाफ एक मजबूत जन जागरण अभियान चलाना है। नशा न केवल लोगों के शरीर को नुकसान पहुंचाता, पर साथ में धन की बर्बादी भी करता है। इसलिए आज ही नशे जैसी बुरी आदतों को छोड़े। छात्रावासों में नशा-मुक्ति समितियों के गठन से शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के बीच इस अभियान का प्रभावी प्रचार-प्रसार होगा। यह कदम प्रदेश को नशा-मुक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।