कृषि विज्ञान केंद्र सागर के वैज्ञानिकों ने अपनी शोध और प्रयोगों के माध्यम से एक अनूठा और सफल तरीका पेश किया है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति भी सकारात्मक प्रभाव डाला जा सकता है। केंद्र में हाल ही में किए गए परीक्षण में टमाटर की फसल के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर रंगीन फूलगोभी (बैंगनी, पीली और हरी) की खेती को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया है। इस विधि से न केवल समय और श्रम की बचत होती है, बल्कि यह सघन खेती को बढ़ावा देने का भी एक शानदार तरीका साबित हुआ है।
सघन खेती की दिशा में एक कदम
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. यादव ने बताया कि इस प्रयोग में टमाटर की फसल के बीच में रंगीन फूलगोभी का प्रयोग किया गया है। इसके लिए टमाटर की उन्नत किस्म को ड्रिप एवं पॉलिमलचिंग पद्धति से उगाया गया। टमाटर की फसल के दोनों किनारों पर 15 से 20 दिन पहले इन रंगीन गोभियों को लगाया जाता है। इस पद्धति से इन गोभियों को 90 से 100 दिन के भीतर काटा जा सकता है, और बाद में टमाटर की फसल भी प्राप्त होती रहती है। इससे टमाटर के लिए जो खाद और उर्वरक दिया जाता है, वही गोभियों को भी पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे अतिरिक्त खाद की आवश्यकता नहीं होती।
लागत में कमी, किसानों की आय में वृद्धि
इस प्रयोग से न केवल लागत में कमी आई है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है। इसके साथ-साथ सिंचाई और श्रम की भी बचत होती है। चूंकि किसी भी प्रकार के कीटनाशक या रोगनाशक का छिड़काव नहीं किया गया, इस प्रकार यह एक पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी तरीका है जो किसानों के लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकता है।
पोषक तत्वों से भरपूर रंगीन गोभी
कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी विशेषज्ञ श्री मयंक मेहरा बताते हैं कि सफेद गोभी की तुलना में रंगीन गोभियों में खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन के अतिरिक्त महत्वपूर्ण विटामिन ए, सी, के की मात्रा अधिक पाई जाती है। इन रंगीन गोभियों में अच्छे प्रकार के फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हमारे शरीर को रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। विशेष रूप से बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा, शहरवासियों को भी अपने किचेन गार्डन में लगाने के साथ साथ ऐसे रंगीन सब्जियों को स्वास्थ्य की दृष्टि से अपनी फूड हैबिट में लाना चाहिए।
बाजार में मूल्य
बड़े शहरों में इन रंगीन गोभियों की कीमत 50 से 150 रुपये प्रति किलो तक पाई जाती है, जो इसे एक आकर्षक व्यापारिक फसल बना सकती है। इस प्रकार, इसे उगाकर किसान न केवल अपनी घरेलू खपत के लिए पौष्टिक खाद्य सामग्री प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि इसे बाजार में बेचकर अच्छा लाभ भी कमा सकते हैं।
जागरूकता और भविष्य की दिशा
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जनमानस में रंगीन सब्जियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रकार के प्रयोगों से न केवल किसानों को बेहतर कृषि पद्धतियाँ सीखने को मिलती हैं, बल्कि यह सघन खेती को बढ़ावा देकर कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव भी ला सकता है।
(सोर्स पी.आर.ओ सागर)