कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में सागर स्थित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, भोपाल रोड, पिछले एक दशक से अलसी अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह केंद्र जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित होता है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा वित्तपोषित अखिल भारतीय समन्वित अलसी अनुसंधान परियोजना का हिस्सा है।
परियोजना की समीक्षा एवं मॉनिटरिंग: फरवरी 4-5, 2025 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिकों, डॉ. जवाहरलाल एवं डॉ. दिव्या अंबाती द्वारा परियोजना की समीक्षा एवं मॉनिटरिंग की गई। इस दौरान उन्होंने किसानों के खेतों में भ्रमण कर 'सीड हब परियोजना' के अंतर्गत किसानों द्वारा बीज उत्पादन और अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के कार्यों का निरीक्षण किया एवं किसानों से संवाद स्थापित किया।
अलसी अनुसंधान में सागर की भूमिका: सागर में संचालित अलसी अनुसंधान परियोजना पिछले 10 वर्षों से भारत में अलसी अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है। इस केंद्र के वैज्ञानिकों को अनुसंधान, नवीन प्रजातियों के विकास, नवाचार, और बीज उत्पादन में उत्कृष्ट कार्य हेतु 'बेस्ट तिलहन परियोजना' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
नई विकसित उन्नत प्रजातियाँ: हाल ही में इस अनुसंधान केंद्र द्वारा अलसी की तीन उन्नत प्रजातियों – JLS 121, JLS 122, एवं JLS 133 को भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है। ये प्रजातियाँ अधिक उत्पादन (असिंचित अवस्था में 13-15 क्विंटल एवं सिंचित अवस्था में 15-17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) के साथ-साथ अधिक तेलांश (41-43%) और ओमेगा-3 (56-58%) से भरपूर हैं। इनकी औद्योगिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए, इन्हें परिष्करण उपरांत उच्च गुणवत्ता के रेशा (लेनिन) और अन्य मूल्यसंवर्धित उत्पादों के निर्माण में प्रमुख घटक के रूप में उपयोगी माना जा रहा है। इससे किसानों को अतिरिक्त आर्थिक लाभ प्राप्त होगा।
वैज्ञानिकों का योगदान: परियोजना प्रभारी डॉ. देवेंद्र पयासी विगत 12 वर्षों से अलसी अनुसंधान एवं किसानों तक इसके लाभ पहुंचाने हेतु कार्यरत हैं। उनके प्रयासों से अब तक 8 प्रजातियाँ विकसित की जा चुकी हैं, जो मध्य प्रदेश सहित अन्य पड़ोसी राज्यों में भी अत्यधिक लोकप्रिय हुई हैं।
भविष्य की संभावनाएँ एवं वैज्ञानिकों की सराहना: इस अनुसंधान केंद्र की इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर डॉ. आर. के. सराफ, प्रमुख वैज्ञानिक एवं केंद्र प्रभारी, ने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी एवं भविष्य में अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में इसी उत्साह और समर्पण के साथ कार्य करने हेतु शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
सागर स्थित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा अलसी अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य देश के किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं। नवीन प्रजातियों के विकास एवं उनकी उन्नत विशेषताओं के कारण किसानों को अधिक उत्पादन और आर्थिक लाभ प्राप्त होने की संभावनाएँ बढ़ी हैं। ऐसे अनुसंधान कार्यों को प्रोत्साहित कर, भारतीय कृषि को और अधिक सशक्त बनाया जा सकता है।