कहते हैं कि यदि मन में दृढ़ निश्चय हो और आगे बढ़ने की सच्ची लगन हो, तो कोई भी बाधा आपको आपके लक्ष्य से नहीं रोक सकती। भोपाल की किरण मीणा इसका सजीव उदाहरण हैं। एक आशा कार्यकर्ता के रूप में अपने सेवा कार्य की शुरुआत करने वाली किरण मीणा आज न केवल एक प्रशिक्षित और नियमित ए.एन.एम (सहायक नर्स मिडवाइफ) हैं, बल्कि उनके अथक प्रयासों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी अपनी वैश्विक रिपोर्ट में स्थान देकर सम्मानित किया है।
यह सफलता सिर्फ एक पदोन्नति नहीं, बल्कि संघर्ष, समर्पण और सतत् कर्मठता का परिणाम है। यह उस महिला की कहानी है, जिसने पारिवारिक जिम्मेदारिb यों और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच भी अपने सेवा भाव और आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने दिया।
आशा से आशा की प्रेरणा
किरण मीणा ने 2014 में अपने कार्य जीवन की शुरुआत आशा कार्यकर्ता के रूप में की। उस समय वे भोपाल के कोलार क्षेत्र की बंजारी बस्ती में कार्यरत थीं। उन्होंने अपने क्षेत्र की महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की जरूरतों को नजदीक से देखा और समझा। यह अनुभव उनके लिए आंख खोलने वाला था और यहीं से उनके भीतर जनसेवा की एक गहरी भावना ने जन्म लिया।
बंजारी बस्ती जैसे वंचित समुदाय में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना आसान नहीं था। मगर किरण ने न केवल घर-घर जाकर लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जागरूक किया, बल्कि उन्हें यह भरोसा भी दिलाया कि सरकारी योजनाएं उनके जीवन को बेहतर बना सकती हैं। दो वर्षों तक वार्ड 81 में सेवा करते हुए उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी – एक साथ काम और पढ़ाई का संतुलन साधना उनके आत्मबल और अनुशासन को दर्शाता है।
2016 में किरण मीणा का चयन ए.एन.एम प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए हुआ। यह उनके जीवन का एक निर्णायक मोड़ था। हालांकि यह सफर आसान नहीं था। प्रशिक्षण के लिए उन्हें भोपाल से दूर सीहोर जाना पड़ा, जहां उन्होंने पूरे दो साल रहकर ए.एन.एम का सघन प्रशिक्षण पूरा किया। इस दौरान वे अपने 5 साल के बच्चे से दूर रही – एक मां के लिए यह समय मानसिक और भावनात्मक दृष्टि से अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा होगा।
लेकिन किरण ने इन चुनौतियों को अपने आत्मबल से पार किया। उन्होंने प्रशिक्षण के हर पहलू को गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य सेवाओं में निपुणता हासिल की। यह समर्पण ही था, जिसने उन्हें एक संविदा ए.एन.एम के रूप में 2019 में नियुक्ति दिलाई।
संविदा से नियमित ए.एन.एम तक
किरण मीणा ने अगले चार साल वार्ड 82 में कार्यरत रहकर जनसेवा की मिसाल कायम की। उन्होंने गर्भवती महिलाओं की जांच, नवजात शिशुओं का टीकाकरण, परिवार नियोजन, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा जैसे विभिन्न राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाई। 2024 में उन्होंने मध्यप्रदेश शासन की ग्रुप-5 परीक्षा दी और उसे सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर नियमित ए.एन.एम के रूप में नियुक्त हुईं।
उल्लेखनीय कार्य और अंतर्राष्ट्रीय पहचान
वर्तमान में वे वार्ड 48 में कार्यरत हैं, कभी आशा कार्यकर्ता के तौर पर लगभग 1 हजार की आबादी को सेवाएं देने वाली किरण आज लगभग 10 हजार की आबादी को सेवाएं दे रही हैं। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत उन्होंने अब तक 351 बच्चों का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित किया है। एमआर1 (खसरा-रुबेला) टीके का 94% और एमआर2 टीके का 90% कवरेज प्राप्त करना उनकी सक्रियता और नियोजन क्षमता को दर्शाता है।
किरण मीणा के इन्हीं प्रयासों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने गर्भवती महिलाओं और शिशु टीकाकरण पर आधारित वैश्विक रिपोर्ट में उल्लेखनीय स्थान दिया है। यह किसी भी स्वास्थ्य कर्मी के लिए अत्यंत गौरव का क्षण होता है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सराहना पाना इस बात का प्रमाण है कि जमीनी स्तर पर किए गए ईमानदार प्रयास दुनिया के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।
योजनाबद्ध कार्यशैली और तकनीकी दक्षता
किरण मीणा के कार्य की एक विशेषता उनकी योजनाबद्ध कार्यशैली है। वे ड्यू लिस्ट बनाना, लाभार्थियों की लाइन लिस्टिंग, UWIN पोर्टल में ऑनलाइन प्रविष्टि, मातृ-शिशु कार्ड में अपडेट, और नियमित मॉनिटरिंग जैसे सभी तकनीकी पहलुओं में दक्ष हैं। वे यह सुनिश्चित करती हैं कि कोई भी बच्चा या गर्भवती महिला टीकाकरण से वंचित न रहे। गंभीर एवं जानलेवा बीमारियों से बचाव में टीकाकरण की भूमिका को उन्होंने अपने दैनिक कार्यों के माध्यम से जमीनी हकीकत में बदल दिया है।
प्रेरणा स्रोत
भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने भी किरण मीणा की कार्यशैली और समर्पण की सराहना की है। उन्होंने कहा कि “किरण मीणा जैसे कर्मचारी अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक जीवंत प्रेरणा हैं। उन्होंने अपनी पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का अनुकरणीय संतुलन स्थापित किया है।”
उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि एक सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी अगर संकल्प, समर्पण और लगन के साथ कार्य करे, तो वैश्विक मंचों तक अपनी पहचान बना सकता है।
किरण मीणा की यात्रा केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन लाखों नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है जो सीमित संसाधनों, पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद अपने कर्तव्य पथ से नहीं डिगतीं। आशा कार्यकर्ता से लेकर ए.एन.एम बनने तक का उनका सफर बताता है कि जब एक महिला शिक्षित, प्रशिक्षित और समर्पित होती है, तो वह न केवल स्वयं की दिशा बदलती है, बल्कि पूरे समाज को बेहतर स्वास्थ्य, जागरूकता और आत्मबल की ओर अग्रसर करती है।
उनकी कहानी यह संदेश देती है कि सच्ची सेवा भावना, निरंतर सीखने की प्रवृत्ति और कठोर परिश्रम किसी भी साधारण व्यक्ति को असाधारण बना सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में उनका नाम केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि जमीनी स्तर पर किया गया निष्कलंक कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता।
किरण मीणा जैसी कर्मठ स्वास्थ्य सेविकाएं भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं – जो न केवल सेवा देती हैं, बल्कि समाज में विश्वास, सुरक्षा और आशा का संचार भी करती हैं। वे उन असंख्य प्रेरणाओं में से एक हैं, जो यह दिखाती हैं कि परिवर्तन कहीं बाहर से नहीं आता – वह भीतर से उपजता है।