28 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर गवेषणा मानवोत्थान एवं पर्यावरण तथा स्वास्थ्य समिति द्वारा जिज्ञासा वाचनालय में एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का विषय "वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जीवन में विज्ञान" रहा।
इस अवसर पर डॉ. हरिसिंग गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) के भौतिकी विभाग से प्रो. रेखा गर्ग सोनंकी ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जीवन में विज्ञान से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उनके मुख्य बिंदु निम्नलिखित रहे:
विज्ञान क्या है?
ब्रह्मांड की उत्पत्ति: धार्मिक तथ्य, वैज्ञानिक तथ्य
सौर एवं चंद्र ग्रहण
ज्योतिषीय भविष्यवाणियाँ
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
विज्ञान क्यों महत्वपूर्ण है?
हमें क्या करना चाहिए?
प्रो. रेखा गर्ग ने बताया कि किसी भी खोज में कुछ नया नहीं होता, बल्कि उस विषय पर पहले भी अनुसंधान हो चुके होते हैं। परंतु, जब कोई वैज्ञानिक नए दृष्टिकोण से खोज को आगे बढ़ाता है और उसमें सफलता प्राप्त करता है, तो वह उसके लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बन जाती है। उन्होंने कहा कि सृष्टि अपने आप में रहस्यमय है, जिसे मानव जाति जितना भी जान ले, वह हमेशा अधूरा ही रहेगा।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 1928 में महान भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन (C.V. Raman) ने रमन प्रभाव (Raman Effect) की खोज की थी, जिसके लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। इस दिवस का उद्देश्य विज्ञान और तकनीक के प्रति जागरूकता बढ़ाना और वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना है।
इस कार्यक्रम का आयोजन जिज्ञासा वाचनालय में किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता प्रो. रेखा गर्ग सोनंकी रही। कार्यक्रम में गवेषणा अध्यक्ष श्री मनोहर चौरसिया, प्रो. राजेश गौतम (मानवशास्त्र विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर), शायर आदर्श दुबे डॉ. दिनेश कुमार तथा जिज्ञासा वाचनालय के सभी छात्र-छात्राओं ने परिचर्चा में सक्रिय सहभागिता निभाई।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित श्रोताओं ने प्रो. रेखा गर्ग से विज्ञान एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़े विभिन्न सवाल पूछे। इन प्रश्नोत्तर सत्र के साथ प्रो. राजेश गौतम ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन हुआ।